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Wednesday, July 15, 2009

NCERT Hindi Class VII - Vasant Bhag 2 - अपूर्व अनुभव

प्रश्न.१: यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।

उत्तर: यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था। यासुकी-चान तोत्तो-चान का घनिष्ट मित्र था। अतः तोत्तो-चान जानती थी कि यासुकी-चान आम बालक कि तरह पेड़ पर चढ़ने के लिए इच्छुक है। उसकी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का अथक प्रयास किया।


प्रश्न.२: दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अन्तर रहे? लिखिए।

उत्तर: दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से पेड़ पर चढ़ने की सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला। इन दोनों के अपूर्व अनुभव को निम्न रूप में कह सकते हैं-

तोत्तो-चान का अनुभव - तोत्तो-चान स्वयं तो रोज ही अपने निजी पेड़ पर चढ़ती थी। लेकिन पोलियो से ग्रस्त अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने से उसे अपूर्व आत्म संतुष्टि प्राप्त हुई क्योंकि उसके इस जोखिम भरे कार्य से यासुकी-चान को भी अत्यधिक प्रसन्नता मिली थी।

यासुकी-चान का अनुभव - यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ कर अपूर्व खुशी मिली। उसकी मन की इच्छा पूरी हो गई। उसने पेड़ पर चढ़कर दुनिया को निहारा।


प्रश्न.४: 'यासुकी-चान को लिए पेड़ पर चढ़ने का यह . . . . . अन्तिम मौका था' - इस अधूरे वाकया को पूरा कीजिये और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा।

उत्तर: यासुकी -चान पोलियो से पीड़ित था। वह स्वयं पेड़ पर चढ़ने में असमर्थ था। अपनी बालिका मित्र तोत्तो-चान कि मदद से वह उसके पेड़ पर चढ़ा। इस पेड़ पर चढ़ने से पहले उसे बहुत परेशानी, बाधा और निराशा से जूझना पड़ा। यासुकी-चान जब सीढ़ी पर चढ़ता था तो सीढ़ी डगमगा जाती थी और वह निराश हो जाता था। पर तोत्तो-चान कि सुझबुझ और मेहनत से वोह पेड़ पर चढ़ने में सफल हो गया। लेखिका ने उसकी इस चढ़ाई को अन्तिम चढ़ाई माना है क्यों कि तोत्तो-चान बहुत जोखिम उठा कर अपने माता-पिता को बिना बताये उसे पेड़ पर चढ़ाई थी शायद वह दोबारा ऐसा कभी ना कर पाएगी।

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