Wednesday, July 29, 2009
Wednesday, July 15, 2009
NCERT Hindi Vasant Bhag 2 - Calss 7 Chapter 8 - शाम एक किसान
उत्तर: कवि ने पहाड़ को किसान के रूप में दर्शाया है।
प्रश्न.२: आकाश को सर पर बँधे साफे के समान क्यों कहा गया है?
उत्तर: शाम के समय सूर्य की लालिमा आकाश में फ़ैल जाती है और पर्वत के शीर्ष को छूती प्रतीत होती है। पर्वत को कवि ने किसान के रूप में चित्रित किया है जिससे यह लगता है की किसान ने सर पर आकाश रुपी साफा बाँधा हुआ है।
प्रश्न.३: जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का चित्रण अपने शब्दों में कीजिये।
उत्तर: जाड़े की शाम का दृश्य अति मनमोहक है। पर्वत एकदम शांत दिखाई देता है, आकाश पर सूर्य की लालिमा फैली है। पहाड़ के नीचे नदी बह रही है, पलाश के लाल फूल अपनी सुन्दरता बिखेर रहे हैं, पूरब की ओर अन्धकार छाने लगा है व पश्चिम में ढलता सूरज अपनी छठा बिखेर रहा है।
NCERT Hindi Class VII - Vasant Bhag 2 - अपूर्व अनुभव
उत्तर: यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था। यासुकी-चान तोत्तो-चान का घनिष्ट मित्र था। अतः तोत्तो-चान जानती थी कि यासुकी-चान आम बालक कि तरह पेड़ पर चढ़ने के लिए इच्छुक है। उसकी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का अथक प्रयास किया।
प्रश्न.२: दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अन्तर रहे? लिखिए।
उत्तर: दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से पेड़ पर चढ़ने की सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला। इन दोनों के अपूर्व अनुभव को निम्न रूप में कह सकते हैं-
तोत्तो-चान का अनुभव - तोत्तो-चान स्वयं तो रोज ही अपने निजी पेड़ पर चढ़ती थी। लेकिन पोलियो से ग्रस्त अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने से उसे अपूर्व आत्म संतुष्टि प्राप्त हुई क्योंकि उसके इस जोखिम भरे कार्य से यासुकी-चान को भी अत्यधिक प्रसन्नता मिली थी।
यासुकी-चान का अनुभव - यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ कर अपूर्व खुशी मिली। उसकी मन की इच्छा पूरी हो गई। उसने पेड़ पर चढ़कर दुनिया को निहारा।
प्रश्न.४: 'यासुकी-चान को लिए पेड़ पर चढ़ने का यह . . . . . अन्तिम मौका था' - इस अधूरे वाकया को पूरा कीजिये और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा।
उत्तर: यासुकी -चान पोलियो से पीड़ित था। वह स्वयं पेड़ पर चढ़ने में असमर्थ था। अपनी बालिका मित्र तोत्तो-चान कि मदद से वह उसके पेड़ पर चढ़ा। इस पेड़ पर चढ़ने से पहले उसे बहुत परेशानी, बाधा और निराशा से जूझना पड़ा। यासुकी-चान जब सीढ़ी पर चढ़ता था तो सीढ़ी डगमगा जाती थी और वह निराश हो जाता था। पर तोत्तो-चान कि सुझबुझ और मेहनत से वोह पेड़ पर चढ़ने में सफल हो गया। लेखिका ने उसकी इस चढ़ाई को अन्तिम चढ़ाई माना है क्यों कि तोत्तो-चान बहुत जोखिम उठा कर अपने माता-पिता को बिना बताये उसे पेड़ पर चढ़ाई थी शायद वह दोबारा ऐसा कभी ना कर पाएगी।
Hindi NCERT (CBSE) Class VII Vasant Bhag 2 - कंचा
उत्तर: कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में घुस जाते हैं तो वह उनकी ओर आकर्षित हो जता है। पहले तो वह उन्हीं में खो जता है उसे लगता है की जैसे कंचों का जार बड़ा होकर आसमान-सा बड़ा हो गया और वह उसके भीतर चला गया। वहाँ और कोई नहीं था। वह अकेला ही कंचे चारों ओर बिखेरता हुआ मजे से खेल रहा था। हरी लकीर वाले सफ़ेद गोल कंचे उसके दिमाग में पूरी तरह छा गए। मास्टर जी कक्षा में पाठ "रेलगाड़ी" का पढ़ा रहे थे लेकिन उसके दिमाग में कंचों का खेल चल रहा था। वह सोच रहा था कि जॉर्ज इन कंचों से कैसे खेलेगा, इन कंचों को पाकर कितना खुश होगा, उसके साथ ही मैं कंचे खरीदूँगा। उसने कंचों के चक्कर में मास्टर जी से डांट भी खाई लेकिन उसका दिमाग तो केवल कंचों के बारे में ही सोच रहा था।
प्रश्न २: दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू कि क्या स्थिति है? वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फ़िर हँसतें हैं। कारण बताइये।
उत्तर: दुकानदार व ड्राइवर के सामने अप्पू एक छोटा बच्चा है जो अपनी ही दुनिया में मस्त है। दुकानदार उसे देखकर पहले परेशान होता है। व कंचे देख तो रहा है लेकिन खरीद नहीं रहा। फ़िर जैसे ही अप्पू ने कंचे ख़रीदे तो वह हँस दिया। ऐसे ही जब अप्पू के कंचे सड़क पर बिखर जाते हैं तो तेज़ रफ़्तार से आती कार का ड्राइवर यह देखकर परेशान हो जाता है कि वह दुर्घटना कि परवाह किए बिना, सड़क पर कंचे बीन रहा है। लेकिन जैसे ही अप्पू उसे इशारा करके अपना कंचा दिखाता है तो वह उसकी बचपन कि शरारत समझकर हँसने लगता है।
Vasant Bhag 2, NCERT (CBSE) Hindi, Class 7- एक तिनका
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा -
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी -
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी -
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया -
उत्तर:
(क) एक दिन जब मैं अपनी छत के किनारे पर खड़ा था।
(ख) आँख में तिनका चले जाने के कारन आँख लाल होकर दुखने लगी।
(ग) जब आँख में बहुत दर्द हुआ तो कवि का घमंड भी टूट गया।
(घ) किसी तरीके से आँख तिनका निकाला गया।
प्रश्न २: 'एक तिनका' कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने कीसंदेश मिलता है?
उत्तर: 'एक तिनका' कविता में 'हरिऔध' जी ने आँख में चले जानेवाले तिनके की बात की गई है की कैसे एक तिनका कवि की आँख में चला गया। उसकी आँख लाल होकर दुखने लगी। लोगों ने आँख में कपड़े की मूंठ भी दी। किसी तरीके से तिनका निकाल लिया गया। ऐसे में कवि का घमंड चूर-चूर हो गया। उसकी बुध्धि ने भी उसे ताने दिए की तू ऐसे ही घमंड करता था। तेरे घमंड को चूर करने हेतु एक तिनका ही बहुत है। इस कविता से यह संदेश मिलता है कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार छोटी से छोटी वस्तु या प्राणी भी घमंड चूर-चूर करने में सफल हो जाते हैं।
प्रश्न ३: आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?
उत्तर: घमंडी की आँख में तिनका पड़ने पर आँख लाल होकर दुखने लगी। ऐसे में वह बेचैन हो उठा जिससे उसका घमंड चूर-चूर हो गया।
Vasant (Basant) Bhag-2 | Class VII NCERT (CBSE) Hindi | कठपुतली
उत्तर: कठपुतली को सदा दूसरों के इशारों पर नाचने से दुःख होता है। वह स्वतंत्र रहना चाहती है। अपने पाँव पर खड़ा होना चाहती है। धागे में बंधना उसे पराधीनता लगती है इसीलिए उसे गुस्सा आता है।
प्रश्न २: कठपुतली को अपने पाँव पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?
उत्तर: कठपुतली अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है अर्थात् पराधीनता उसे पसंद नहीं लेकिन खड़ी नहीं होती क्योंकि जब उसपर सभी कठपुतलीओं की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है तो वह डर जाती है। उसे ऐसा लगता है की कहीं उसका उठाया गया कदम सबको मुश्किल में न डाल दे।
प्रश्न ३: पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी नहीं लगी?
उत्तर: जब पहली कठपुतली ने स्वतंत्र होने के लिए विद्रोह किया तो दूसरी कठपुतलियों को भी यह बात बहुत अच्छी लगी क्यों की बंधन में रहना कोई पसंद नहीं करता। वे भी बंधन में दुखी हो चुकी थीं लेकिन ऐसा संभव न हुआ।
Class 7 Hindi | Vasant Bhag-2 | NCERT (CBSE) | हम पंछी उन्मुक्त गगन के
उत्तर: हर तरह की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते क्योंकि उन्हें बंधन पसंद नहीं। वे तो खुले आकाश में ऊँची उड़ान भरना, बहता जल पीना कड़वी निबौरियाँ खाना ही पसंद करते हैं।
प्रश्न २: भाव स्पष्ट कीजिए - "या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तांती साँसों की डोरी।"
उत्तर: इस पंक्ति में कवि पक्षी के माध्यम से कहना चाहता है कि यदि मैं स्वतंत्र होता तो उस असीम क्षितिज से मेरी होड़ हो जाती। मैं इन छोटे-छोटे पंखों से उड़कर या तो उस क्षितिज से जाकर मिल जाता या फिर मेरा प्राणांत हो जाता।
Class 7 CBSE (NCERT) Hindi | Vasant Bhag-2 | दादी माँ
उत्तर: जब लेखक को मालूम हुआ कि दादी माँ की मृत्यु हो गयी है तो उसके सामने दादी माँ की यादें सजीव हो उठीं। साथ ही उसे अपने बचपन की स्मृतियाँ-गंधपूर्ण झाग्भारे जलाशयों में कूदना, बीमार होने पर दादी का दिन-रात सेवा करना, किशन भैया की शादी पर औरतों द्वारा किए जानेवाले गीत और अभिनय के समय चादर ओढ़कर सोना और पकड़े जाना आदि भी याद आ जाती हैं।
प्रश्न २: दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति ख़राब क्यों हो गयी थी?
उत्तर: दादा की मृत्यु के पश्चात् लेखक की आर्थिक स्थिति ख़राब हो गयी क्योंकि पिताजी व भैया ने धन का सही उपयोग न किया। ग़लत मित्रों की संगती से सारा धन नष्ट कर डाला। दादा के श्राद्ध में भी दादी माँ के मना करने पर भी पिताजी ने अपार संपत्ति व्यय की।
प्रश्न ३: दादी माँ के स्वभाव का कौन सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है?
उत्तर: दादी माँ के स्वभाव का सेवा, संरक्षण, परोपोकारी व सरल स्वभाव आदि का पक्ष हमें सबसे अच्छा लगता है क्योंकि इन्हीं के कारण ही वे दूसरों का मन जीतने में सदा सफल रहीं।
Tuesday, July 14, 2009
Class VII, Vasant Bhag-2 (Hindi) | मिठाईवाला
उत्तर: मिठाईवाले के बच्चों की असमय मृत्यु हो गई थी। वह अपने बच्चों की झलक इन गली के बच्चों में देखता था। जब बच्चे अपनी मधुर आवाज़ में उससे अलग-अलग चीज़ें मांगते तो ऐसा लगता जैसे वह अपने बच्चों की फरमाइशें पूरी कर रहा हो। वह कई महीनों बाद आता था क्योंकि उसे पैसों का कोई लालच नहीं था। वह तो केवल अपने मन को संतुष्ट करने के लिए बच्चों की मनपसंद चीज़ें बेचा करता था। दूसरे बच्चों में अपने बच्चों की झलक पाकर संतोष, धैर्य तथा सुख का अनुभव करता था।
प्रश्न २: मिथईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी खीचें चले आते थे?
उत्तर: मिठाईवाले का मधुर आवाज़ में गा-गाकर अपनी चीज़ों की विशेषताएँ बताना, बच्चों की मन-पसंद चीज़ें लाना, कम दामों में बेचना, बच्चों से अपनत्व दर्शाना आदि ऐसी विशेषताएँ थीं कि बच्चें तो बच्चें बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे।
प्रश्न ४: खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर: खिलौनेवाले की मधुर आवाज़ सुनकर बच्चे चंचल हो उठते। उसके स्नेहपूर्ण कंठ से फूटती हूई आवाज़ सुनकर निकट के मकानों में हल-चल मच जाती। छोटे-छोटे बच्चों को अपनी गोद में लिए स्त्रियाँ भी चिकों को उठाकर छज्जों पर से नीचे झाँकने लगतीं। गलियों तथा उनके भीतर स्थित छोटे-छोटे उद्धानों में खेलते और इठलाते हुए बच्चों का समूह उसे घेर लेता और तब वह खिलौनेवाला अपनी खिलौनों की पेटी वहीं खोल देता।
प्रश्न ५: रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो गया?
उत्तर: रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण हो आया क्योंकि वह आवाज़ जानी-पहचानी थी। खिलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था। मुरलीवाला भी ठीक वैसे ही मधुर आवाज़ में गा-गाकर मुरलियाँ बेच रहा था।
प्रश्न ६: किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर: दादी माँ की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने इन व्यावसायों को अपनाने का कारण यह बताया कि बच्चों प्रसन्न देखकर मेरा ह्रदय प्रसन्न हो जाता है। इससे मुझे संतोष, धैर्य व असीम सुख की प्राप्ति होती है। इन बच्चों में मुझे अपने बच्चों की ही झलक नज़र आती है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हीं बच्चों के रूप में उन्हों ने जन्म लिया होगा।
प्रश्न ७: "अब इस बार ये पैसे न लूंगा" - कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: दादी और रोहिणी से बातें करते हुए मिठाईवाला भावुक हो उठा उसने उन्हें बताया कि कैसे उसका घर-परिवार था, बाल-बच्चें व सुंदर पत्नी थी, वह स्वयं भी प्रतिष्ठित व्यक्ति था लेकिन अब कुछ नहीं रहा। इसलिए उन बच्चों की खोंज में निकलता हूँ और इन्हीं बच्चों में मुझे उनकी झलक नज़र आती है तो संतुष्ट हो जाता हूँ। उसी समय चुन्नू-मुन्नू रोहिणी के बच्चे आकर मिठाई मांगने लगते हैं। वह दोनों को मिठाई से भरी एक-एक पुड़िया देता है। रोहिणी पैसे देने आती है तो उसका यह कहना कि "अब इस बार यह पैसे न लूंगा" इस बात को दर्शाता है कि उसका मन भर आया और वे बच्चे उसे अपने बच्चे ही लगे।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न १: मिठाईवाला अपने जीवन की कथा किसे और क्यों सूना रहा था?
उत्तर: मिठाईवाला अपने जीवन की कथा रोहिणी व दादी को सूना रहा था, क्योंकि रोहिणी के मन में सदा यह जानने की इच्छा थी की किस कारण मिठाईवाला बच्चों को लागत से भी कम कीमत पर अपनी वस्तुएँ बेचता है।
प्रश्न २: 'प्राण निकाले नहीं निकले' इस कथन के द्वारा मिठाईवाला क्या कहना चाहता है?
उत्तर: 'प्राण निकाले नहीं निकले' कथन के द्वारा वह कहना चाहता है कि उसके बच्चों की असमय मृत्यु से उसके जीने का कोई उद्देश्य नहीं रहा लेकिन उसे मृत्यु न आई। वह जीवित रहकर भी मृत की भाँती जीवन बिताने को मजबूर है।
प्रश्न ३: मिठाईवाले को गली के बच्चों पर ममता क्यों थी?
उत्तर: मिठाईवाले को अपने मृत बच्चों की झलक इन बच्चों में देखने को मिलती थी। जब बच्चें अपनी मधुर आवाज़ में उससे चीज़ें मांगते तो उसे ऐसा लगता मानो वह अपने ही बच्चों को मन-पसंद वस्तुएँ दे रहा है। इसलिए वह बच्चों की पसंद की नई-नई चीज़ें लाता था।