(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा -
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी -
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी -
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया -
उत्तर:
(क) एक दिन जब मैं अपनी छत के किनारे पर खड़ा था।
(ख) आँख में तिनका चले जाने के कारन आँख लाल होकर दुखने लगी।
(ग) जब आँख में बहुत दर्द हुआ तो कवि का घमंड भी टूट गया।
(घ) किसी तरीके से आँख तिनका निकाला गया।
प्रश्न २: 'एक तिनका' कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने कीसंदेश मिलता है?
उत्तर: 'एक तिनका' कविता में 'हरिऔध' जी ने आँख में चले जानेवाले तिनके की बात की गई है की कैसे एक तिनका कवि की आँख में चला गया। उसकी आँख लाल होकर दुखने लगी। लोगों ने आँख में कपड़े की मूंठ भी दी। किसी तरीके से तिनका निकाल लिया गया। ऐसे में कवि का घमंड चूर-चूर हो गया। उसकी बुध्धि ने भी उसे ताने दिए की तू ऐसे ही घमंड करता था। तेरे घमंड को चूर करने हेतु एक तिनका ही बहुत है। इस कविता से यह संदेश मिलता है कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार छोटी से छोटी वस्तु या प्राणी भी घमंड चूर-चूर करने में सफल हो जाते हैं।
प्रश्न ३: आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?
उत्तर: घमंडी की आँख में तिनका पड़ने पर आँख लाल होकर दुखने लगी। ऐसे में वह बेचैन हो उठा जिससे उसका घमंड चूर-चूर हो गया।
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